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Kanak Bansal

Drama

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Kanak Bansal

Drama

विद्यालय

विद्यालय

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मेरा विद्यालय वह जगह है,

जह बैठकर में पढ़ती हूँ,

कभी अपने दोस्तों के साथ मिलकर,

मौज-मस्ती करती हो।


हम अपने विद्यालय में बैठकर, 

बहुत कुछ पढ़ते है,

तो कभी रोते है, 

कभी हस्ते है।


यहाँ शिक्षिका हमारी दूसरी माँ है,

माँ की तरह अच्छे और बुरे के बारे में, 

समझ करवाती है,

और गलत करने पर हमें, बताती है। 


यहाँ हमारे नए-नए दोस्त हमें,

खुश करते है, उदास होने पर,

हमारी हसी को ढूँढ़कर,

हमरी फिर मदद करते है। 


इसलिए विद्यालय को अपना घर मानो,

ख़ुशी-ख़ुशी उसे अपना लो, 

फिर घर की तरह, 

उसे भी संभालो। 


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