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Kanak Bansal

Tragedy

5.0  

Kanak Bansal

Tragedy

वाह री मौत! वाह !

वाह री मौत! वाह !

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लोग कहते हैं,

मैं मौत से नहीं डरता,

पर जब वह आती है तो,

वही लोग कांप उठते हैं।


परिवार को तो तहस -नहस करती ही है,

ओर इंसान को तो उसकी पूरी जिंदगी ही भूला देती है,

फिर वापस जीव बनाकर,

उसे वापस वहीं सृष्टी पर भेज देती है।


उस इंसान के पीछे पूरी जिंदगी उसका परिवार रोता है,

मौत तो उनकी भी खुशी नहीं देख सकती,

वह किसी की जिंदगी का बहुत महत्तवपूर्ण हिस्सा भी हो सकता है,

मौत तो वह भी नहीं समझती।


लोग कहते हैं,

कि उसके बजाए मुझे उठा लिया होता,

और ऐसा ही होता तो,

यहाँ इंसान ही भगवान होते।


मौत तू आने से पहले,

पूछ तो लेती,

मैं अपना सारा काम खत्म कर लेता,

और परिवार को भी खुश कर देता।


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