विद्या-मुक्ति जीने की युक्ति
विद्या-मुक्ति जीने की युक्ति
विद्या वही जो हमें मुक्ति दे,
और जीवन जीने की युक्ति दे।
जीवन वही है होता सुखकर,
सुखी हो सबको ही सुख देकर।
अनुकरणीय हो निज आचरण,
बनें सुखद सकल पर्यावरण।
मिटा हर एक ग़म जो सुख दे,
बस सीख वही अभिव्यक्ति दे।
विद्या वही जो हमें मुक्ति दे,
और जीवन जीने की युक्ति दे।
औपचारिक शिक्षा के सारे संस्थान,
महत्त्वपूर्ण तो है इनका निज स्थान।
मूलभूत पथ प्रदर्शन इनका है काम,
लक्ष्य प्राप्ति में सहायता करें तमाम।
मानवता का संचार हो अविरल ही,
ये शिक्षार्थियों को ऐसी अंतर्शक्ति दे।
विद्या वही जो हमें मुक्ति दे,
और जीवन जीने युक्ति दे।
विद्यालय तो बनें केंद्र बिंदु निर्मल,
जिनसे बहे प्रेम सरित अविरल।
हम सबके हों हर कोई हमारा हो,
शिक्षा से समाज में उजियारा हो ।
छल-दम्भ रहित ही हर जीवन हो,
साहसी धीर-वीर हो हर ही व्यक्ति।
विद्या वही जो मुक्ति दे,
जीवन जीने की युक्ति दे।
बहु नवाचार हैं दिल्ली ने किए और,
महत्त्वपूर्ण अग्रणी भूमिका निभाई है।
अनुकरणीय प्रयास विविध करते हुए,
सराहना और बड़ी ख्याति भी पाई है।
जिज्ञासु-ज्ञान पिपासु रहें बनें हम सब,
न हो इसमें जरा सी भी अतिश्योक्ति।
विद्या वही जो हमें मुक्ति दे,
और जीवन जीने की युक्ति दे।
