वही काटोगे जो...
वही काटोगे जो...
हर हाल में, हर दौर में हम तुम्हारे हैं,
और ये तो हम, हक से कहते हैं !
पर...तुम सिर्फ और सिर्फ मेरे रहो,
मेरी तरफ से ऐसी शर्त कोई नहीं..!
मेरे पलकों में कभी ख़ालिस आंसू बरसे हैं,
तो कभी टूटते हुए सपनों की किर्रचें हैं !
हुई है मुद्दतें ये आंख ढंग से सोई नहीं ,
फिर भी संभाले रखा खुद को और रोई नहीं..!
चाहे लगाओ तोहमतें झूठी कई हम पर ,
और खुद अपनी ओर ज़रा भी मत देखो !
हमें फिर भी रहेगी मोहब्बत सिर्फ तुमसे ,
अब ये ना कहना कि जो काटा वो बोई नहीं !
