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V. Aaradhyaa

Abstract Crime

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V. Aaradhyaa

Abstract Crime

वही काटोगे जो...

वही काटोगे जो...

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हर हाल में, हर दौर में हम तुम्हारे हैं,

और ये तो हम, हक से कहते हैं !

पर...तुम सिर्फ और सिर्फ मेरे रहो,

मेरी तरफ से ऐसी शर्त कोई नहीं..!


मेरे पलकों में कभी ख़ालिस आंसू बरसे हैं,

तो कभी टूटते हुए सपनों की किर्रचें हैं !

हुई है मुद्दतें ये आंख ढंग से सोई नहीं ,

फिर भी संभाले रखा खुद को और रोई नहीं..!


चाहे लगाओ तोहमतें झूठी कई हम पर ,

और खुद अपनी ओर ज़रा भी मत देखो !

हमें फिर भी रहेगी मोहब्बत सिर्फ तुमसे ,

अब ये ना कहना कि जो काटा वो बोई नहीं !


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