वह पौधा, इक उसका पत्ता
वह पौधा, इक उसका पत्ता
वह पत्ता
अलग हो गया है पौधे से।
इक गहरा चिह्न ही है,
जो उसके होने का साक्ष्य रह गया है।
पौधे ने एक दिन उसे भी
अपना सब कुछ देकर
नयी शुरुआत की शक्ति दी थी,
आज उसे ही विदा करने का समय आ गया।
वो निशान उस शाखा ने रख लिया है सहेजकर
क्यूँकि अभी वो कुछ और जियेगी।
उसकी शिकायत बस यही है
कि आयु तनिक लम्बी है उसकी,
शाख से टूट चुके उस पत्ते से।
