अपना -अपनी
अपना -अपनी
दोस्ती
रिश्ते
समाज
दायरे
बंधन
लाचारी
सब तुमने सोचा
तुम रखो बेशक
अपने पास ।
मेरी पूँजी
सरल प्रेम ही था ।
उसे यूं ही
मेरे आँगन में
पड़ा रहने दो
अभी
कुछ भादों और ।
यहीं कुछ देर और बैठूँगी
और प्रतीक्षा करूंगी
इसके
पास की कच्ची नाली में
उत्तरोतर
बह जाने की ।