वह निर्दोष व्यक्ति
वह निर्दोष व्यक्ति
अच्छा व्यवहार नहीं कर
सकते
किसी के साथ तो
कम से कम
बुरा तो न करो
यह और अधिक घिनौना प्रतीत
होता है जब
बिना कारण होता है
किसी के बहकावे में आकर
ईर्ष्यावश
खुद ही
जो जी में आया
वह जोड़ तोड़ करके
उस निर्दोष व्यक्ति को तो
तुमने सूली पर ही लटका
दिया और
यह कृत्य
अकारण
बार बार दोहराया
जब तक
वह मानसिक, आत्मिक और
शारीरिक रूप से अन्ततः
तड़प तड़पकर मर नहीं गया।