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Amit Kumar

Abstract

3  

Amit Kumar

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वास्ता

वास्ता

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अजब लगता है

दुनियां तेरा दस्तूर

जो तुझसे राबता

रखते है

उनसे तेरा कोई

वास्ता नहीं

और जो तुझसे 

वास्ता रखते है

उनसे भी तेरा

कोई राबता नही

ये राबता और 

वास्ता 

कहीं तो मिलने चाहिए

इसके लिए चाहे

कोई वास्ता हो 

या न हो

कोई राबता हो

या न हो।



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