वादे
वादे
इतने भी झूठे वादे किसी को दिलाए नहीं
के ज़रा में आए कहकर कभी आए नहीं
एक उमर गुज़री जो राज़ जानने में,
हम सफ़र होकर भी उन्होंने बताए नहीं
सांझ की लाली लाओगी, बात वाली बात थी
रात नीली आ गई, तुमने रंग दिखाए नहीं!
हम मिलेंगे, और मिलकर गले मिलेंगे
दो वादे थे, वो भी निभाए नहीं!
इतने भी झूठे वादे किसी को दिलाए नहीं।