Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Ankit soni

Inspirational

5.0  

Ankit soni

Inspirational

जिसे चाहा था उसे ले आया हूँ

जिसे चाहा था उसे ले आया हूँ

2 mins
279


ज़्यादा नहीं बस इतना सोचा है

एक रैना का सपना बनूं मैं

धूप के आंगन में छांव से खेलूं


एक पक्के इरादे का पेड़ लगाऊं

हारे हुए लम्हों की डाली पर

नई हरी उम्मीदों के पत्ते लगाऊं


मैं ख़ुशियों के बहाने ले आया हूं

जिसे चाहा था उसे ले आया हूं,

आखिरी बार का वादा लेकर


अब बस कान्हा एक

साज़िश करनी है

मेघ बुलाना है और

बारिश करनी है


फिर छांव के आंगन में

बारिश से खेलेंगे

भर सावन में

नम नैनों से

अन्तिम निवेदन ले आया हूं

तुमने जितने चाहे थे

सारे परिवर्तन ले आया हूं


बहुत नहीं बस थोड़ा

जतन करना हैं

वो जितने सपने थे रैना के

सबके विमोचन करना है


धूप से

बारिश से

छांव से

आंगन के पेड़ की बाहों से

बस इतना वादा है



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational