उसने जीतना सीख लिया
उसने जीतना सीख लिया
उसने हार कर जीतना सीख लिया है
वो उठ कर पुनः खड़ा हो गया है
हो गया था ध्वस्त जो
अपनी ही शिराओं से
आज वो उन्हीं से शीर्ष तक लिपटा हुआ है
जी रहा है
और सबका पथ प्रदर्शक बन
राह चुन रहा है,
कर रहा है दान कभी प्लाजमा तो
कभी रक्त का मोह छोड़ रहा है,
वो निर्भीक है
साहस का प्रतिरूप बन
समाज में खुशियाँ बिखेर रहा है
पा ली है विजय उसने
अपने ही डर पर
हरा दिया है कोरोना को निडर हो
थोड़ा संयम और थोड़ी सावधानी रख
हो गया है पूज्यनीय
इस डर के पथ पर
दे रहा है सीख
सभी पथिकों को
डरो नही लड़ो
तुम हो हिन्दुस्तानी माटी के लाल
जिसकी माटी में छिपा है
वीरता का गुण महान।