उसकी नज़र की जादूगरी
उसकी नज़र की जादूगरी
उसकी नज़र की जादूगरी,
दिल को मेरे उड़ा ले चली,
मैंने बहुत संभाला समझाकर इसे,
ये जा गिरा उसकी ही गली।
वो कनखियों से देख हँसती रही,
मैँ चुपचाप उठा और फिसला वहीं,
उसकी नज़र की जादूगरी,
एक अगन जला के गई।
धीरे-धीरे उसको मनाया,
अपने प्यार को जताया,
वो बस के मेरे ज़हन में,
कई उमंगें जगा के गई।
रातों को उसके ख्यालों ने जगाया,
सुबह फिर उसके एहसासों का था साया,
उसकी नज़र की जादूगरी,
मुझे निकम्मा बना के गई।
उसका इजहार ~ए ~ इश्क जिस दिन हुआ,
उस दिन ये समा सब रंगीन हुआ,
उसकी नज़र की जादूगरी,
अपना दीवाना बना ही गई।