उस रिश्ते के नाम
उस रिश्ते के नाम


हर साल श्रवण के महीने में
पूर्णिमा के शुभ अवसर पर
रक्षा बंधन आता है
इस अंधेर नगरी में
भाईयों और बहेनों को
एक दूसरे के याद दिला जाता है।
में अलबेला इस अंधेर नगरी से
पूछता हूँ इन भाईयों से
क्या इनहे जरूरत उस धागे की
बहेनो की याद हेतु
बहेनो की रक्षा हेतु।
ये अलबेला पुछत इन बहेनो से
क्यों चाहियें इनहे त्योहार का बहानों
भाई से मिलने के लिए
भाई का मुँह मीठा करने के लिए
भाई का तिलक करने के लिए।
इस संसार की रीत है
सबको कभी ना कभी जाना है
प्रतिदिन एक पल हों
इस भाई बहन के रिश्ते के लिए
जिसे किसी त्योहार की
कभी जरूरप ना हों।