उर्दू शायरी का बादशाह।
उर्दू शायरी का बादशाह।
अगर संस्कृत में कालिदास,
अंग्रजी में शेक्सपियर,
तो उर्दू शायरी में ग़ालिब या असद,
यनि उर्दू शायरी का पिता,
जनाब मिर्जा असादुद्दीन बेग।
ग़ालिब बचपन से ही लिखा करते थे,
तंगी के हालात में जिया करते थे,
जिंदगी कर्जदारी में ही निकली,
लेकिन वो शायर थे इतने बेबाक,
अच्छे अच्छों पे कह देते थे अपना कलाम।
वो पत्राचार के भी माहिर थे,
पत्रों को आम आदमी की समझ तक पहुंचाना,
ग़ालिब का ही था कारनामा,
उन्होंने दीवाने गालिब लिखा,
और इतिहास रचा।
वो भिन्न-भिन्न बिषयों पे दिखाते थे कलम,
जिंदगी को समझते थे खेल का मैदान,
एकबार उन्हें अंग्रजों ने डाल दिया जेल में,
पुछा गया,
क्या तुम मुसलमान हो,
ज़बाब मिला आधा,
यानि खुब शराब हूं पीता,
और सुअर भी हूं खाता।
बहादुर शाह जफर के भी रहे टयूटर,
और बाद में उनके बेटे को भी दिया इल्म,
उसके दरबार में भी की मुलाज़मत।
आखिर 15फरवरी 1869 को हो गये,
इस दुनिया से रुखसत।