उनकी याद सता रही है
उनकी याद सता रही है
देखो आज फिर उनकी याद सता रही है
वो काली घटा फिर मेरे माथे की लकीरें हिला रही है
सोचा था मैंने कि भुला दूंगा आसानी से जिनको
अब हर शख्स में उन्हीं की परछाई नज़र आ रही है।
चलते-चलते बहुत दिन हो गए हैं
अब ये जांघें रस्ते पर रुकी जा रही हैं
अकेले ही निकल आया था इस सफर पर लेकिन
देखो आज फिर उनकी याद सता रही है।
मन को जो समझा भी लेता हूँ मैं
कुछ पल धड़कने को मना भी लेता हूँ मैं
पर वो मंज़िल भी कहा नज़र आ रही है
देखो आज फिर उनकी याद सता रही है।
अब सूखा पड़ा है उम्मीद के सागर में बहुत
हर तरफ रेत ही रेत नज़र आ रही है
कोई तो मिले इस पहेली को सुलझाने वाला
कोई जो बताए मुझको क्यों वो,
चुलबुली सी हँसी मुझे रुला रही है
देखो आज फिर उनकी याद सता रही है।
मेरी खामोशी पर भी अब आँच आ रही है
उनकी खामोशी मेरी खामोशी को
चुनौती बनाती जा रही है
पर भीड़ से इतनी हटकर है जो पहचान उनकी
देखो आज फिर उनकी याद सता रही है।
अब तो तकिया भी गवाही देने को आतुर है मेरी
इसकी नमी ही पूरी कहानी बता रही है
बिस्तर पर भी सिलवटें पड़ने लगी हैं बहुत
नींद से ज़्यादा करवटें बदली जा रही हैं
देखो आज फिर उनकी याद सता रही है।
सोचता हूँ कि इस नज्म का अंत करूँ
करूँ भी तो कैसे करूँ लेकिन
अब मुझे और ज़्यादा याद आ रही है
देखो आज फिर उनकी याद सता रही है।।