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Dr J P Baghel

Abstract

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Dr J P Baghel

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उंगली है

उंगली है

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काली थी जो दाल गली है,

नए तरीके से उबली है ।


बदल गया है मौसम इतना,

भारी नीर, हवा पतली है ।


कुछ लोगों की आज अचानक,

आशंका सच में बदली है ।


ताल और सुर बदल गए हैं,

गानों की भी धुन बदली है ।


झूठ बोलता है तो क्या है,

खेल मदारी का असली है ।


लोकतंत्र मुट्ठी के अंदर,

जनता की तो बस उंगली है ।


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