उंगली है
उंगली है
काली थी जो दाल गली है,
नए तरीके से उबली है ।
बदल गया है मौसम इतना,
भारी नीर, हवा पतली है ।
कुछ लोगों की आज अचानक,
आशंका सच में बदली है ।
ताल और सुर बदल गए हैं,
गानों की भी धुन बदली है ।
झूठ बोलता है तो क्या है,
खेल मदारी का असली है ।
लोकतंत्र मुट्ठी के अंदर,
जनता की तो बस उंगली है ।
