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उन दिनों : ये श्राप नहीं

उन दिनों : ये श्राप नहीं

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ये जीवन का एक हिस्सा है या है कोई अभिशाप ,  

क्यों उनको देनी पड़ती है इस जीवन की कड़ी परीक्षा ,  

क्यों "उन दिनों " में वे कुछ नहीं कर सकती ,  

क्यों हो जाती है वे तन्हा ,  


क्यों उन्हें घर का एक कोना  दे दिया जाता है ,  

क्यों उन्हें उस भगवन से दूर कर दिया जाता है ,  

कोई काम  नहीं , कोई खाना नहीं ,  


क्यों करना पड़ता है उन्हें उपवास ,  

क्यों वे मंदिर नहीं जा सकती ,  

क्यों वे अछूत हो जाती है ,  


क्यों वे रोज़े नहीं रख  सकती ,  

क्यों वे रसोई घर नहीं जा पति ,  


क्यों , कुछ दिनों क लिए वे पराई हो जाती है ,  

क्यों , तब सबको उनकी याद नहीं आती है ,  


क्यों उन्हें इतना दुत्कार  मिलता है ,  

क्या वे प्यार नहीं चाहती ,  


क्यों "उन दिनों " की बातें  नहीं की जाती ,  

क्या ये इतनी बुरी बात है जो ज़ुबान  पे नहीं आती ,  


क्यों "उन  दिनों " सबको लाल रंग से नफरत हो जाती है ,  

कभी तो सोचो ,हम  सबके शरीर में लाल खून की प्रवाह बहती जाती है ,  


मत करो ऐसा बर्ताव उनके साथ , आखिर वे  भी तो मनुष्य है ,  

क्या हुवा आखिर वे कुछ दिनों के लिए अलग है ,  


इन चीजों पे उनका कोई काबू नहीं ,  


ये सब कुदरती है ,  

आखिर इसी के बाद तो वे एक औरत कह लती है ,  

और इस के ही बाद वे भ्रूण रख सकती है।


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