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Geeta Joshi

Inspirational

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Geeta Joshi

Inspirational

उम्मीदें नहीं हारा करतीं

उम्मीदें नहीं हारा करतीं

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चाहे धूप हो या हो छांव

जेठ दुपहरी तपती हो गर्मी

माघ, शिशिर की या हो सर्दी

जरा, व्याधि या मंद पवन हो

बाधाओं का चाहे संग हो

नई सुबह नित आ यों कहती

उम्मीदें नहीं हारा करतीं.

पग चाहे अंगारों पर हो

मौसम पर लाखों पहरें हों

फिजाएं प्रतिकूल खड़ी हों

स्थितियां डांवाडोल पड़ी हों

नई सुबह झट आ यों कहती

उम्मीदें नहीं हारा करतीं... 

हर सफर में एक है उलझन

तन्हाई का हर भेद अगम

हर दिल में भय चाहे छाया

डरी, सहमी- सी सबकी काया

फिर भी स्मित आशाएँ कहती ं

उम्मीदें नहीं हारा करतीं... 

आज महामारी से जग में

जूझ रहे हैं जो सब अपने

आरोग्य, सुख, शांति के फिर से

देखेंगे मुस्काते सपने

पवन सुवासित आ यों कहती

उम्मीदें नहीं हारा करतीं.. 

  


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