कुछ विश्वास रहेंगे अविचल
कुछ विश्वास रहेंगे अविचल
कुछ विश्वास रहेंगे अविचल
विश्वासों के चलते- चलते
जैसे- ग्राम- देव का आशीष
जैसे- कुछ सुधियों की कम्पन
खंडित माया की मोहकता
शेष बचे कुछ उसके बंधन.
संबंधों की कटुता में भी
छिपी हुई स्नेहातुर चितवन
अंत नहीं मृग- तृष्णाओं का
तप्त- रेणु पर चलते- चलते
कुछ विश्वास रहेंगे अविचल
विश्वासों के चलते- चलते
संकल्प, लचीले थे शायद
कहीं नियति का साया निर्मम,
सपनों की ऊँची उड़ान औ'
अहंकार का भी कुछ भ्रम,
करता रहा पलायन प्रतिपग
उलझी राहें, शिथिल कदम
क्या था, क्यों था, कौन बताए?
पराजयों के चलते- चलते
कुछ विश्वास रहेंगे अविचल
विश्वासों के चलते- चलते....