उम्मीद
उम्मीद
उम्मीद से भरी ये जिंदगी
ना उम्मीदों से ठोकरें खाती है ,
जब भी सर उठाती हैं
हमेशा अपनो से मार खाती है ,
गैरों को फुरसत कहां
अपने ही दुश्मन बने रहते हैं,
जब भी करना चाहो कुछ अच्छा
राहों में कांटे बिछाए रहते हैं,
ना जाने क्या कुसूर है मेरा
हमेशा आंखें तरेरे रहते हैं,
बच कर अब जाएं कहां
हर ओर आंखें लगाए रहते हैं !!