लोभ क्रोध
लोभ क्रोध
लोभ क्रोध अपमान ताने,
अपने खर्राटे की तरह होते हैं,
खुद करे तो अहसास नही होता,
दूसरा करें तो बहुत दुखदाई होते हैं।
प्यार मोहब्बत,और नफरत,
खुद करे तो बहुत बढ़िया होता,
गर दूसरा करे तो बहुत ही,
बुरा ये काम होता है।
खुद कितना भी गिर जाए,
पर गिरा हुए नहीं समझते,
दूसरे फिसल भर जाए तो,
वह पतित ठहराए जाते।