कैसे कह दूँ
कैसे कह दूँ
कैसे कह दूँ,
मैं तुम्हें अपना,
सिर्फ सपना हो,
जिसने भी देखा,
तुम्हें पास से,
उसकी मृग तृष्णा हो..
हैं अलकें घूमी घूमी,
लटकती ज्यों कुंडलियाँ,
मुख में हंसता गुलाब,
क्या छुपाये बैठी हो...
कसाव है तेरे चेहरे का,
खींचता मुझको,
तेरी उन्नत सी निगाहें,
गिराती मुझको...
न उठाओ, न उठाओ,
नहीं काबिल तेरे,
तेरे वादों में इरादे
नजर आते मुझको...