नेता
नेता
चमकेंगी गलियाँ
अब चमकेगी राहें,
न भरनी पड़ेंगी
मायूसी की आहें,
लपक करके नेता
ये वोटर से बोले,
मुझे देखकर यूँ न
फेरो निगाहें।
दीवारों,गली,खम्भे,राहों में नेता,
चहुंओर सबकी निगाहों में नेता,
चुनावी समय में सदा दीखते हैं,
वोटर के पैरों और बाहों में नेता।
नहीं बहाना कभी पसीना नेताओं की आदत है,
यार दोहरा जीवन जीना नेताओं की आदत है,
बिना सुन्न घावों को सीना नेताओं की आदत है,
गाली दे गंगाजल पीना नेताओं की आदत है।
सजा चुनावी दंगल
दीखें द्वारे द्वारे नेताजी,
पकड़ पकड़कर हर वोटर के
पाँव पखारें नेताजी,
ये कर दूंगा,वो कर दूंगा,
सब कर दूंगा कहते हैं,
बना के उल्लू जनता को खुद
दाँत चियारें नेताजी।
भ्रष्टाचार की गोद में बैठा स्वार्थ के अण्डे सेता है।
वोट के बदले जो जनता को आश्वासन बस देता है।
सारी बाजी हार के भी जो रहता सदा विजेता है।
दुनिया का अद्भुत प्राणी वह कहलाता जो नेता है।
फिर से सज रहे हैं चुनावी अखाड़े।
नेता सोचें जनता को कैसे लताड़े,
महंगाई, गरीबी, राम नाम की लूट है,
लोकतंत्र में इनको भुनाने की छूट है।
