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Kavi Devesh Dwivedi 'Devesh' (कवि देवेश द्विवेदी 'देवेश')

Others

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Kavi Devesh Dwivedi 'Devesh' (कवि देवेश द्विवेदी 'देवेश')

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हमने देखी हैं

हमने देखी हैं

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कितनी लाते-घातें हमने देखी हैं,

जीवन की शह-मातें हमने देखी हैं,

दुःख को सहते लोग अकेले देखे हैं,

सुख के संग बारातें हमने देखी हैं।


उजली-काली रातें हमने देखी हैं,

दिल को चुभती बातें हमने देखी हैं,

जो अपना बन हमको छलते रहते हैं,

उनकी भी औकातें हमने देखी हैं।


घिरकर आते-जाते हमने देखी हैं,

बिन बादल बरसातें हमने देखी हैं,

धुला दूध का जो अपने को कहता है,

उसकी सब करामातें हमने देखी हैं।


खुदगर्ज़ी की खैरातें हमने देखी हैं,

मुफ़्त बँटी सौगातें हमने देखी हैं ,

गिरगिट सा जो रंग बदलने वाले हैं,

उनकी भी खुराफातें हमने देखी हैं।



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