चलो सत्य मार्ग पर
चलो सत्य मार्ग पर
मेरे कुल की सृष्टा रहीं
मेरी दादी गुन निधान
उनके रोम रोम में भरा
आम जन का कल्याण
कोई भूखा प्यासा नहीं
गया उनके द्वार से कभी
मलकिन अइया के नाम
से पुकारते ग्रामवासी सभी
हर छोटे बड़े को देती रहीं
वो ताउम्र प्यार औ दुलार
उनके आशीर्वाद से पुष्पित
पल्लवित हुआ मेरा परिवार
सियाराम में आजीवन रही
उनकी अति गहरी आस्था
उनकी कहानियां सुना देती
वो हर पीड़ित मन को आशा
बिन स्नान ध्यान के करती
नहीं थी कभी भी अन्न ग्रहण
स्वयं सनातनी संस्कारों का
उम्रभर करती रहीं निर्वहन
सिखलाती सबको यही कि
चलो सत्य मार्ग पर दिन रात
तभी परम पिता भी देगा हर
पग पे आपका साथ साक्षात
रब हर पल तुम्हें है देखता
रखना मानवता का ध्यान
अच्छे कर्म का होता है सदा
जीवन में अच्छा ही परिणाम।।