Khalid MOHAMMED
Classics
ज़िन्दगी यूँ ही
उलझ गयी है
सुलझाते सुलझाते,
कि पता नहीं चल रहा
कौन ज़ख्म दे रहा है
और कौन मरहम लगा रहा है ?
महंगाई
ज़िन्दगी
उलझन
मैं और मेरी प...
हमारी नज़र !
तस्वीर
वतन से कुछ न ...
किताब!
बेवफाई
ज़रूरी है!
कुछ भी नहीं रहेगा साथ पुण्य के सिवा जीवन के बाद।। कुछ भी नहीं रहेगा साथ पुण्य के सिवा जीवन के बाद।।
हर घर-घर में हो स्टोरी मिरर की चर्चा हो स्टोरी मिरर की इतनी यशगाथा कि आसमान छू ले हर घर-घर में हो स्टोरी मिरर की चर्चा हो स्टोरी मिरर की इतनी यशगाथा कि आस...
जिनको समझते हैं अजनबी उन्हीं से कोई वास्ता निकलता है।। जिनको समझते हैं अजनबी उन्हीं से कोई वास्ता निकलता है।।
केवल परहित में जो लगे रहते हैं, नायक हैं जिनमें न अपेक्षा भाव। केवल परहित में जो लगे रहते हैं, नायक हैं जिनमें न अपेक्षा भाव।
आँगन नन्हे फरिस्ते, उस आगाज को तरसे। आँगन नन्हे फरिस्ते, उस आगाज को तरसे।
हृदय शिखाओं में पनपे पल्लव ज्वाल फूटी वाणी सुर की हो – होकर उत्कल। हृदय शिखाओं में पनपे पल्लव ज्वाल फूटी वाणी सुर की हो – होकर उत्कल।
हिम्मत जो हारे तो हार है, जीत हेतु धैर्य धारण कर। हिम्मत जो हारे तो हार है, जीत हेतु धैर्य धारण कर।
राक्षस राजा हिरण्यकश्यप को ब्रह्मा से वरदान मिला था। राक्षस राजा हिरण्यकश्यप को ब्रह्मा से वरदान मिला था।
आप स्वयं के हैं सबसे पहले सच्चे मित्र, निज मित्रता की मधुर वाटिका विकसाएं। आप स्वयं के हैं सबसे पहले सच्चे मित्र, निज मित्रता की मधुर वाटिका विकसाएं।
आकाशदीप जलता ही रहे ज्योतित मन ही ‘उदारॉंगन’ है। आकाशदीप जलता ही रहे ज्योतित मन ही ‘उदारॉंगन’ है।
छोड़ क्रोध मोह पाप की माया बना समान जीवन, जीवन के बाद। छोड़ क्रोध मोह पाप की माया बना समान जीवन, जीवन के बाद।
यही तो है जीवन के बाद का सिला।। जीवन के बाद फिर से एक नये जीवन का सिलसिला चला।। यही तो है जीवन के बाद का सिला।। जीवन के बाद फिर से एक नये जीवन का ...
काश ! मेरा बेटा या बेटी, उसके उपर जाता, और इतिहास बनाता। काश ! मेरा बेटा या बेटी, उसके उपर जाता, और इतिहास बनाता।
सीने में आग और आंखों में जलन क्योंकि आदमी हो गया है पत्थर। सीने में आग और आंखों में जलन क्योंकि आदमी हो गया है पत्थर।
बचपन में मां ने सुनाई थी एक परियों की कहानी।। बचपन में मां ने सुनाई थी एक परियों की कहानी।।
सम्पूर्ण जगत के जन हैं परिजन, सकल धरा है एक ही परिवार। सम्पूर्ण जगत के जन हैं परिजन, सकल धरा है एक ही परिवार।
छाया दुलारे, रवि सुत प्यारे, तुझ पे मैं बलिहारी। आरती श्री शनिदेव तुम्हारी॥ छाया दुलारे, रवि सुत प्यारे, तुझ पे मैं बलिहारी। आरती श्री शनिदेव तुम्हारी॥
जाऊँ उस पर मैं बलिहारी। क्या सखी साजन ? नहीं अलमारी। जाऊँ उस पर मैं बलिहारी। क्या सखी साजन ? नहीं अलमारी।
जिसमें उसने अपने उद्गारों को … अलंकृत शब्दों में पिरोकर “रचना” का नाम दिया…। जिसमें उसने अपने उद्गारों को … अलंकृत शब्दों में पिरोकर “रचना” का नाम दिया…।
सज धज कर राधा चली, प्रीतम मिलने आज। सभी गोप के मुख्य जो, गिरधर हैं सरताज।। सज धज कर राधा चली, प्रीतम मिलने आज। सभी गोप के मुख्य जो, गिरधर हैं सरताज।।