ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी हमें सब कुछ सीखा देती है,
ज़िन्दगी हमें अपना ही आईना बता देती है,
देखने की नज़र को जब ये बदला देती है,
सबर को भी ये जब थोड़ा सा बड़ा देती है,
देखो अपनी तक़दीर अपने हातो से लिखा देती है,
आफताब से नज़र मिलाकर चलना सीखा देती है,
ज़िन्दगी हमें सब कुछ सीखा देती है,
ज़िन्दगी हमें अपना ही आईना बता देती है,
अपनों को अपनों से ये जब मिला देती है,
फिर, गैरों का फ़र्क़ भी ये बता देती है,
दिल तोड़ कर रिश्तों को ये जब जुड़ा देती है,
भरोसा थोड़ कर अपनों को ये रुला देती है,
ज़िन्दगी हमें सब कुछ सीखा देती है,
ज़िन्दगी हमें अपना ही आईना बता देती है।