Khalid MOHAMMED
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एक अरसे से ज़िन्दगी यूँ ही गुज़र रही है,
बर्फ की तरह धीरे धीरे पिघल रही है,
समेटना चाहता हूँ जिन यादों को एक किताब में,
बाजार में ऐसी किताब ही नहीं मिल रही है।
महंगाई
ज़िन्दगी
उलझन
मैं और मेरी प...
हमारी नज़र !
तस्वीर
वतन से कुछ न ...
किताब!
बेवफाई
ज़रूरी है!