Khalid MOHAMMED
Drama
हम कहाँ रहते हैं
हर वक़्त अकेले इस दुनिया में,
कि दिन में परछाई
साथ नहीं छोड़ती है,
और रात में तन्हाई
साथ नहीं छोड़ती है !
महंगाई
ज़िन्दगी
उलझन
मैं और मेरी प...
हमारी नज़र !
तस्वीर
वतन से कुछ न ...
किताब!
बेवफाई
ज़रूरी है!
झूठ का है बोलबाला और सत्य बस घुट घुट कर जीता रहा, अब बस और नहीं, चुप्पी अब और नहीं झूठ का है बोलबाला और सत्य बस घुट घुट कर जीता रहा, अब बस और नहीं, चुप्पी ...
क्यूँ कि हर दर्द देकर तुमने ... मुस्कुराते रहने की दुआ जो दी थी......... क्यूँ कि हर दर्द देकर तुमने ... मुस्कुराते रहने की दुआ जो दी थी.........
अंबर तक उड़ चले सतरंगी गुलाल l नहीं रहा किसी के मन में कोई मलाल l अंबर तक उड़ चले सतरंगी गुलाल l नहीं रहा किसी के मन में कोई मलाल l
हम भी सीखे इन रंगों के सुंदर त्योहार से। खुशियों के रंग भरें हम भी सबके जीवन में। हम भी सीखे इन रंगों के सुंदर त्योहार से। खुशियों के रंग भरें हम भी सबके जीवन ...
बूंद-बूंद बारिश सी, टीप-टीप टपकती ज़िन्दगी। बूंद-बूंद बारिश सी, टीप-टीप टपकती ज़िन्दगी।
मेरी महेबूबा बन ज़ाओ "मुरली", तेरे ईश्क में ड़ूबना चाहता हूं। मेरी महेबूबा बन ज़ाओ "मुरली", तेरे ईश्क में ड़ूबना चाहता हूं।
तुझको बारम्बार प्रणाम तुझसे बनी,सृष्टि अनुपम। तुझको बारम्बार प्रणाम तुझसे बनी,सृष्टि अनुपम।
दहक -दहक दहकने लगे पलाश कि होली आई है l दहक -दहक दहकने लगे पलाश कि होली आई है l
अपना हक, ही तो मांगा है, ज्यादा नहीं, जी मेरा है, उतना हक ही तो मांगा है।। अपना हक, ही तो मांगा है, ज्यादा नहीं, जी मेरा है, उतना हक ही तो मांगा ह...
बाहर कदम रखने की ख्वाहिश अब मर चुकी है। बाहर कदम रखने की ख्वाहिश अब मर चुकी है।
जिजा अहिल्या झांसी जैसी शूर विरांगना हूं....! जिजा अहिल्या झांसी जैसी शूर विरांगना हूं....!
वाहवाही और झूठी शाबाशियों में गुम, मैं काबिल तो था पर शायद सयाना न था।। वाहवाही और झूठी शाबाशियों में गुम, मैं काबिल तो था पर शायद सयाना न था।।
देख न तो एक बार मुझे ये चूड़ी कितनी प्यारी रे, चूड़ी क्या ये हंसी ये आंसू सब कुछ तुझ पर देख न तो एक बार मुझे ये चूड़ी कितनी प्यारी रे, चूड़ी क्या ये हंसी ये आंसू सब कु...
प्यार में प्रेमी, एक दूजे के रंग, रंग जाते हैं, प्यार में प्रेमी, एक दूजे के रंग, रंग जाते हैं,
सखियों संग राधा चली श्याम को रंगने l सखियों संग राधा चली श्याम को रंगने l
तन अधूरा बिन प्राण के, शान अधूरा बिन मान के, तन अधूरा बिन प्राण के, शान अधूरा बिन मान के,
कितनी कोशिश की तुम्हें सच बताने की पर तब हम तुम्हारे लिए अनजान साए थे। कितनी कोशिश की तुम्हें सच बताने की पर तब हम तुम्हारे लिए अनजान साए थे।
जीवन तेरी नाभि से सिंचित, और धमनी तेरी शोणित से, जीवन तेरी नाभि से सिंचित, और धमनी तेरी शोणित से,
शायद मेरा फूलों से रिश्ता सिर्फ नज्म तक नहीं और भी गहरा है। शायद मेरा फूलों से रिश्ता सिर्फ नज्म तक नहीं और भी गहरा है।
क्यों आज कुछ लोग इतने अवसरवादी एवं स्वार्थी बन चुके हैं ? क्यों आज कुछ लोग इतने अवसरवादी एवं स्वार्थी बन चुके हैं ?