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Jaypoorna Vishwakarma

Classics

3  

Jaypoorna Vishwakarma

Classics

बीती रात कमल दल फूले

बीती रात कमल दल फूले

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उग आया सूरज देखो पट से 

उसकी लाली नभ में छाई 

महक उठे बगिया के फूल सभी 

कलियां भी संग में मुस्काई 


चिड़ियों की चहचहाहट से 

देखो गूंज उठा गगन 

सुंदर पावन मौसम देख

मद-मस्त झूम उठा पवन 


भोर हुई उठ आया सूरज 

उठ गये सारे कलियां और फुलें 

तू भी उठ जा नन्हा लाल 

बीती रात कमल दल फूले।


सूरज का स्वागत करने में 

बादल ले रहा अंगड़ाई 

तेज सूरज की किरणों से 

पूरे जग में रोशनी छाई


स्वप्न सुंदरी की निद्रा में 

देर तक क्यों तू सोया है 

छोड़ स्वर्ण सवेरा अपना

कहां तू अब खोया है


बीत रही वक्त की घड़ियां

वक्त की कीमत जो न टटोले 

छोड़ दे हठ अब सोने का 

बीती रात कमल दल फूले।


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