उधार की खुशियां
उधार की खुशियां
माँग कर उधार
मैं किसी से
लाई थी
खुशियां चार,
दो गिर गईं रास्ते में
जेब से ,
जो उधड़ गई थी
हालातों की मार से
एक दे दी
उस छोटे बच्चे को
जो भूख से था व्याकुल,
थोड़ा जागा,
थोड़ा था सोया,
अचानक ही रोता फिर खुद ही चुप होता
ढूंढ रहा था अपनी मां को
बची एक खुशी
जिसे लूट लिया
उसने
जिसके नाम
कर दी गई थी
मेरी जिंदगी
