तू मिल जा
तू मिल जा
तू मिल जा कहीं
यूँ ही किसी बहाने से
जी लेंगे कुछ पल सही
उसी एक बहाने से
बेवजह छल रही साँसे भी
कुछ मिल जाये राहतें सी
बडी बेदर्द है फ़िज़ाएँ भी
बरसते बादल की खफा सी
मिल जा किसी मोड़ पर हमसे
हो के हमारी वो साँसे बुझी सी
यूँ ही इसी बहाने से....
तू मिल जा कही
यूँ ही किसी बहाने से
जी लेंगे कुछ पल सही
उसी एक बहाने।

