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Naayika Naayika

Romance

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Naayika Naayika

Romance

अपनी अपनी यात्रा

अपनी अपनी यात्रा

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पुरुष जब प्रेम की बातें करता है
तो मस्तिष्क से करता है
जो स्त्री की नाभि तक पहुँचने में अधोगमन करती है
और जो बातें स्त्री नाभि से करती है
पुरुष के मस्तिष्क तक पहुँचने में
उसे उर्ध्वगमन करना होता है

लेकिन क्या तुम जानते हो
इन बातों को कहीं पहुंचना नहीं होता....
पहुंचना तो हमें होता है
उन बातों की ऊर्जा पर सवार होकर
हृदय के उस कमंडल में
जहां प्रेम का कुण्ड
हर जन्म में विद्यमान होता है
लेकिन हर जन्म वहां पहुँचने की यात्रा भर होती है

आओ तुम्हारे मस्तिष्क से निकली
कुछ बातों को मैं हृदय तक पहुंचा दूं
लेकिन तुम मेरी बातें मुझे ही पहुंचाने दो
क्योंकि स्त्री का गर्भनाल से
प्रसवकाल से
और प्रेम में छल का सम्बन्ध
उसकी यात्रा का हिस्सा होते हैं,
जो उसे अकेले ही तय करना है ...


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