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Naayika Naayika

Romance

1.0  

Naayika Naayika

Romance

बहुत कुछ करीब होता है, बस तुम्हारे सिवा…

बहुत कुछ करीब होता है, बस तुम्हारे सिवा…

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आकर्षण की सीमा के परे

जब मैं तुम्हें सोचती हूँ

तो तुम मुझे दिखाई देते हो

मेरी रात के चन्द्रमा की तरह

जो मेरे अंतःसागर में हो रहे

ज्वार-भाटे को नियंत्रित किए हुए भी

तटस्थ रहता है अपने आसमाँ में,

विचारों की सीमा से परे

जब मैं तुम्हें सोचती हूँ

तो तुम मुझे दिखाई देते हो

उस दरख्त की तरह

जिस पर मेरे मन की गिलहरी

अठखेलियाँ करने चढ़ जाती है

कभी फल तोड़ लेती है

तो कभी पत्तियों के झुरमुट से

निकलकर चली जाती है

सड़क के उस पार

स्वप्न की सीमा से परे,

जब मैं तुम्हें सोचती हूँ तो

तुम मुझे दिखाई देते हो

नभ में उमड़ आए बादलों की तरह

मेरे यथार्थ की तपती भूमि पर

कुछ भीनी फुहारें बरसाकर

मेरी माटी को सौंधी कर देते हो,

यथार्थ की सीमा से परे

जब मैं तुम्हें सोचती हूँ

तो दूर नहीं रह पाती हूँ

आकर्षण से, विचारों से, सपनों से

बहुत कुछ करीब होता है

बस तुम्हारे सिवा…

 


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