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Naayika Naayika

Others

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Naayika Naayika

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यथार्थ में संशोधन

यथार्थ में संशोधन

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यथार्थ में संशोधन का प्रयास

शक्य है जब नदी को लगे प्यास

 

सारी व्याकुलता बन जाए एक खोज

और ह्रदय के गहरे से उठे कोई मौज

 

जब रीढ़ की हड्डी भी कर दे झुकने से मनाही

और कलम भी छोड़ दे पीना स्याही

 

जब शब्दों से अर्थ विलीन हो जाए

और मौन समाधि में लीन हो जाए

 

सब कुछ रूपांतरित हो जाए नदी की प्यास में

और दौड़ पड़े सागर की तलाश में

 

भव सागर और ज्ञान सागर एक हो जाए

और प्यासी नदिया उसमें डूब जाए

 

 तब विचारना क्या कोई संशोधन अब भी बाकी है

इस प्रकृति में क्या तू सच में एकाकी है

 

क्या अब भी कोई यथार्थ दिखाई देता है

क्या अब भी कोई और परमात्मा रचयिता है

 

यदि है तो समझना नदी अब भी प्यासी है

यथार्थ में संशोधन अब भी बाकी है...


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