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monika kakodia

Abstract

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monika kakodia

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तू मेरा होता

तू मेरा होता

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सुनो ये पत्र लिखा है मैंने

तुम्हारे लिए

हाँ पत्र है ये मगर

महज़ पत्र ही नहीं

मेरी उलझनें,


तुम्हारी सुलझने

सवालात तेरे और

सभी जवाब मेरे

सब उकेरे हैं मैंने

इस वरक पर

अल्फ़ाज़ के रंग में

कुछ नाराज़गी


ज़रा आशिक़ी

कुछ इश्क़ सा

ज़रा तिश्नगी

मोहब्बत के हर ढंग में

एक अरसे से ये पत्र

रखा है मेरी डायरी में


ख़ामोश, चुप सा

ना पहुँचा कभी

उस पते पर

जिसके नाम हर हर्फ़ किया

अब सोचती हूँ


कहा होता

ये खत तुम्हें

दिया होता

शायद तब कहीं

तू मेरा होता।


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