तू कहाँ खो गयी मैं कहाँ खो गया
तू कहाँ खो गयी मैं कहाँ खो गया
वो खनक वो हंसी, वो तेरी दिल्लगी
आदतें वो तेरी जो थी तुमसे बनी !
वक़्त के फैसले में ये क्या हो गया
तू कहाँ खो गयी मैं कहाँ खो गया,!! .
अब हवाओं में तेरी वो खुश्बू नहीं
जीने मरने की वो आरजू भी नहीं !
रूह लगता है जैसे धुंआ हो गया
तू कहाँ खो गयी मैं कहाँ खो गया !!
रास्ते सारे लगते हैं वीरान से
सारी गलियाँ अपरिचित सी लगने लगी !
वक़्त जैसे कि बिलकुल ही थम सा गया
तू कहाँ खो गयी मैं कहाँ खो गया !!
तू गयी साथ में चैन भी ले गयी
अब पता ही नहीं क्या गलत क्या सही !
दूर बैठा वो अपना खुदा सो गया
तू कहाँ खो गयी मैं कहाँ खो गया !!
साथ तुमने गुजारे जो पल जो घडी
रह गया तेरे मेरे लिए बस वही !
फिर न आया कभी लौट कर जो गया
तू कहाँ खो गयी मैं कहाँ खो गया !!

