I'm sukesh and I love to read StoryMirror contents.
"तीन सौ बरस बाद अब तुम यहाँ आये ही क्यूँ? "तीन सौ बरस बाद अब तुम यहाँ आये ही क्यूँ?
अगर तुमसे प्रेम करने की शर्त तुम्हारी गुलामी है, तो सुन लो ..मुझे तुमसे कोई प्रेम नहीं। अगर तुमसे प्रेम करने की शर्त तुम्हारी गुलामी है, तो सुन लो ..मुझे तुमसे कोई प्रे...
उस शाम की बारिश में बहुत कुछ दरकता हुआ जा रहा था। उस शाम की बारिश में बहुत कुछ दरकता हुआ जा रहा था।
मैंने सहर्ष स्वीकार कर लिया और हम बरामदे पर मेहमानों के लिए बिछी हुई दरी पर बैठकर खेलन मैंने सहर्ष स्वीकार कर लिया और हम बरामदे पर मेहमानों के लिए बिछी हुई दरी पर बैठक...
जिन्हें पाने को आवारा कुत्तों में छीनाझपटी हो रही थी। जिन्हें पाने को आवारा कुत्तों में छीनाझपटी हो रही थी।
क्योंकि यहाँ मेरे कैरियर को वो रफ़्तार हासिल नहीं होगी जो मै चाहता हूँ। क्योंकि यहाँ मेरे कैरियर को वो रफ़्तार हासिल नहीं होगी जो मै चाहता हूँ।
स्वाद मेरे अंदर घुलता चला जा रहा था।वे दोनों अजनबी जा चुके थे। स्वाद मेरे अंदर घुलता चला जा रहा था।वे दोनों अजनबी जा चुके थे।
लोग उसके सैंडल को देखें इसके लिए वो गलियों में अपनी शलवार के पाँयचों को उठाकर मटरगश्ती लोग उसके सैंडल को देखें इसके लिए वो गलियों में अपनी शलवार के पाँयचों को उठाकर मट...
'और हां, मुझे पता है, गोलचक्कर की मूर्ति शिवाजी महाराज की है'। 'और हां, मुझे पता है, गोलचक्कर की मूर्ति शिवाजी महाराज की है'।
वृद्धा ने देखा कि पात्र लेते हुए बाबाजी के नेत्रों से भी दो बूंद नीर उस पात्र में समा ग वृद्धा ने देखा कि पात्र लेते हुए बाबाजी के नेत्रों से भी दो बूंद नीर उस पात्र मे...