तू जिस मिट्टी में पैदा हुआ
तू जिस मिट्टी में पैदा हुआ
तू जिस मिट्टी में पैदा हुआ
तू उस मिट्टी में ही मिल जायेगा ।
जिसे कभी तू ना ढूंढ़ सका
तू उसे कभी ढूंढ़ नहीं पायेगा ।
एक तलाश जो तेरी
तू उसे तलाश नही पायेगा ।
एक वक्त आयेगा ऐसा भी
तू खुद को समझ नही पायेगा ।
तू सोचता क्या है
तू इस दुनिया को क्या बतलायेगा ।
वक्त रहते तू सम्भल कर चल
एक दिन समझदार बन जायेगा ।
तेरे साथ क्या हुआ
तू किस-किस को बतलायेगा।
तू जिस मिट्टी में पैदा हुआ
तू उस मिट्टी में ही मिल जायेगा ।
वक्त की ठोकर खाकर
फिर एक दिन तू पछतायेगा ।
जब पछतायेगा
फिर सब को बतलायेगा ।
सम्भल कर चल बन्दे
तू बहुत समझदार बन जायेगा।
जब तू समझदार बन जायेगा
फिर तू सबको समझायेगा।
