तू ही बता मेरे मौला !
तू ही बता मेरे मौला !
तार-तार हो रही है
अपनेपन की चादर
छीज रही है रिश्तों की डोर
दम तोड़ रहा है
प्यार मुहब्बत भाईचारा
ऐसे में लगता तो है
हर तरफ से भरा-भरा
फिर भी बड़ी शिद्दत से
गहरी हो रही है
अकेलेपन के खाई !
क्यों हो रहा है ऐसा ?
तू ही बता मेरे मौला !