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Krishna Khatri

Tragedy

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Krishna Khatri

Tragedy

तू ही बता मेरे मौला !

तू ही बता मेरे मौला !

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तार-तार हो रही है 

अपनेपन की चादर

छीज रही है रिश्तों की डोर 

दम तोड़ रहा है 

प्यार मुहब्बत भाईचारा

ऐसे में लगता तो है 

हर तरफ से भरा-भरा 

फिर भी बड़ी शिद्दत से

गहरी हो रही है 

अकेलेपन के खाई !

क्यों हो रहा है ऐसा ?

तू ही बता मेरे मौला !


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