तुमसा कोई नहीं।
तुमसा कोई नहीं।
तुम सा ना दूजा कोई ।
नाम अनेक तुमने धारे, पर तुम सा ना कोई ।।
तू ही है जग का रखवाला, चाहे राम कहो या रहीम।
सब ही हैं दिखते एक जैसे, रचना तेरी बड़ी असीम ।
दीन -दुखियों में तू ही रमता, इतना पावन पाक है तू।
आर्त-हृदय से जिसने भी पुकारा, दयालुता की मिसाल तू।।
जिसने भी जिस नाम से पुकारा, वही रूप सबको तुम दिखलाते।
"नीरज" का तो पता नहीं, फिर भी सब पर तुम कृपा बरसाते।।