तुम्हीं से ,,,,,,,,, !
तुम्हीं से ,,,,,,,,, !
जरा सुनो तो सही तुम
ऐ मेरे जाने जिगर
मेरे जानेदिल
मेरे जानेमन
मैंने तो की है तुमसे मुहब्बत
तुम भी तो कहते हो यही
कि तुम
करते हो मुहब्बत मुझसे
मगर ये क्या है सनम
तुम जब भी मिले
केवल अपने लिए ही मिले
तुम तो हरदम
अपनी ही कहते रहे
कभी भी तुमने
मेरी तो एक ना सुनी
मैं तुमसे अपनी
कहने को तरसती रही
तुम बयां करते रहे
अपनी बातें
अपने ग़म
अपने अफसाने
मेरे दर्द
मेरे फ़साने
सब धरे रह गए
जब सबकुछ है
तेरा ही तेरा
फिर मेरा क्या है ?
ऐ जानेमन
क्या यही प्यार है तेरा ?
इश्क मुहब्बत प्यार वफ़ा
क्या ये हैं कोरे अफसाने ?
फिर भी मैं तो
करती हूं प्यार तुम्हीं से !
तुम्हीं से बस तुम्हीं से !

