STORYMIRROR

Neeraj pal

Inspirational

4  

Neeraj pal

Inspirational

तुम्हारी याद

तुम्हारी याद

1 min
282

जब दुनिया ही हमसे रूठ गई,निराशा ही हमको हाथ लगी,

 इन्हीं त्रयतापों से जीना सीख लिया, जीवन मरुस्थल लगने लगा,

जब लिप्सा ही कदम जमाने लगी, मन ने भी उसका साथ दिया,

 इच्छाओं की चादर फैलने लगी, बुद्धि ने भी उसका साथ दिया,

 हे! जगत पिता! जगतगुरु! एक तुमसे ही हमको आस लगी ।।


जब धैर्य ही ने साथ छोड़ दिया,असंतोष के बादल छाने लगे,

 जीवन ही निरर्थक लगने लगा, भागम- भाग में ही रहने लगे,

 जब कार्यकलाप आवेगों से हो चालित, दुनिया ही सब कुछ लगने लगी, 

सारे संकल्प स्वार्थपरक होने लगे, बुद्धि सपनों की दुनिया बुनने लगी,

हे! जगत पिता !जगतगुरु! एक तुम ही प्रिय पालक लगने लगे।।


 जब ईर्ष्या, लोभ और अहंकार ही अपने शीश उठाने लगे,

 प्रेयस का मार्ग ही सुंदर लगा, श्रेयस को ही भूलने लगे,

 कर्म किया इस मकसद से, कि फल की चिंता होने लगी,

 अनेक विपदाओं ने जब घेरा मुझको, तुम्हारी याद सताने लगी,

 हे! जगत पिता! जगतगुरु! तुम ही दुख- निवारण लगने लगे।।


 गर मर्जी हो तेरी तो, हमें तुम्हारी जरूरत पड़ने लगी,

 मन को मेरे काबू कर दो, अब जन्नत भी फीकी लगने लगी,

 साथ मिले तेरा ही हमको, जीवन का असली मजा आने लगे,

 सत- रज -तम के गुणों ने घेरा, समानता में यह आने लगें,

 हे ! जगत गुरु ! जगत पिता ! अब "नीरज" को "तुम्हारी याद" सताने लगी।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational