STORYMIRROR

Pawanesh Thakurathi

Romance

4.8  

Pawanesh Thakurathi

Romance

तुम्हारे प्रेम में

तुम्हारे प्रेम में

1 min
425


समुद्र में जैसे

उठती है लहर

वैसे ही मेरे मन में 

तुम्हारे लिए

उठती है चाह।


पल-पल प्रतिपल

तुम तक पहुंचने की

इस चौराहे से निकलती हैं

कई राह।


तुम्हारी अनुपस्थिति में

गूंजती हैं

अनवरत सिसकियां

अनगिनत आह।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance