तुम्हारे प्रेम में
तुम्हारे प्रेम में
समुद्र में जैसे
उठती है लहर
वैसे ही मेरे मन में
तुम्हारे लिए
उठती है चाह।
पल-पल प्रतिपल
तुम तक पहुंचने की
इस चौराहे से निकलती हैं
कई राह।
तुम्हारी अनुपस्थिति में
गूंजती हैं
अनवरत सिसकियां
अनगिनत आह।
समुद्र में जैसे
उठती है लहर
वैसे ही मेरे मन में
तुम्हारे लिए
उठती है चाह।
पल-पल प्रतिपल
तुम तक पहुंचने की
इस चौराहे से निकलती हैं
कई राह।
तुम्हारी अनुपस्थिति में
गूंजती हैं
अनवरत सिसकियां
अनगिनत आह।