Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Meenakshi Gandhi

Abstract

4.7  

Meenakshi Gandhi

Abstract

तुम्हारे नाम पाँचवा संदेश

तुम्हारे नाम पाँचवा संदेश

1 min
262


जब तुम मुझे देख खिलखिलाती हो

तो लगता है कि तुम कह रही हो

माँ तुम बहुत प्यारी हो


जब तुम किसी की गोदी में

मेरे लिए छटपटाती हो

तो लगता है कि तुम कह रही हो

माँ मुझे तुम्हारे पास सबसे

सुरक्षित महसूस होता है


जब भी मैं गुस्सा हो जाती हूँ

तो तुम्हारी नटखट मुस्कान जैसे कह रही होती है

माँ मुझे तुम्हें सताने में बहुत मज़ा आता है


जब तुम मुझे दूर जाते देख चिल्लाती हो

तो लगता है तुम कह रही हो

मुझे खिलौनों से ज्यादा तुम प्यारी हो माँ


जब तुम मेरे बिना संवरें चेहरे को देख मुस्काती हो

तो लगता है तुम कह रही हो

तुम जैसी भी दिखती हो तुम ख़ूबसूरत हो माँ


जब तुम मुझे गुनगुनाते सुन शांत हो जाती हो

तो लगता है तुम कह रही हो

माँ मुझे तुम्हारी आवाज़ बहुत पसंद है

 

जब पूरे दिन की थकान के बाद

तुम्हारी आँखों में देखती हूँ

तो उनकी चमक जैसे कह रही होती है

तुम बहुत हिम्मत वाली हो माँ


और जब मैं तुम्हारे लिए

लिखी कविता पढ़ती हूँ

तो लगता है तुम कह रही हो

माँ तुम मेरे लिए लिखती रहना

ताकि बड़े होकर मैं अपना

बचपन इन कविताओं में दोबारा जी सकूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract