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Meenakshi Gandhi

Abstract

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Meenakshi Gandhi

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तुम्हारे नाम पाँचवा संदेश

तुम्हारे नाम पाँचवा संदेश

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जब तुम मुझे देख खिलखिलाती हो

तो लगता है कि तुम कह रही हो

माँ तुम बहुत प्यारी हो


जब तुम किसी की गोदी में

मेरे लिए छटपटाती हो

तो लगता है कि तुम कह रही हो

माँ मुझे तुम्हारे पास सबसे

सुरक्षित महसूस होता है


जब भी मैं गुस्सा हो जाती हूँ

तो तुम्हारी नटखट मुस्कान जैसे कह रही होती है

माँ मुझे तुम्हें सताने में बहुत मज़ा आता है


जब तुम मुझे दूर जाते देख चिल्लाती हो

तो लगता है तुम कह रही हो

मुझे खिलौनों से ज्यादा तुम प्यारी हो माँ


जब तुम मेरे बिना संवरें चेहरे को देख मुस्काती हो

तो लगता है तुम कह रही हो

तुम जैसी भी दिखती हो तुम ख़ूबसूरत हो माँ


जब तुम मुझे गुनगुनाते सुन शांत हो जाती हो

तो लगता है तुम कह रही हो

माँ मुझे तुम्हारी आवाज़ बहुत पसंद है

 

जब पूरे दिन की थकान के बाद

तुम्हारी आँखों में देखती हूँ

तो उनकी चमक जैसे कह रही होती है

तुम बहुत हिम्मत वाली हो माँ


और जब मैं तुम्हारे लिए

लिखी कविता पढ़ती हूँ

तो लगता है तुम कह रही हो

माँ तुम मेरे लिए लिखती रहना

ताकि बड़े होकर मैं अपना

बचपन इन कविताओं में दोबारा जी सकूँ।


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