तुम्हारे चरणों में।
तुम्हारे चरणों में।
कल्याण करते तुम सब पर, जो पहुंचे तुम्हारे चरणों में
झोली सबकी तुम भरते, जो पहुंचे तुम्हारे चरणों में
मन की मलिनता मिट जाती, मात्र तुम्हारे दर्शन से
कुविचारों की तो जगह नहीं ,मात्र वाणी तुम्हारी सुनने से
भवरोग सभी मिट जाते हैं, आकर तुम्हारे सानिध्य में
पीड़ा सब की हर लेते हो ,जो पहुंचा तुम्हारे "सत्संग" में
प्रेम की वर्षा में भींग कर, सब तुममें फ़ना हो जाते हैं
जो भी निकट तुम्हारे पहुंचता, वे अपने में ही खो जाते हैं
इतनी कृपा की भीख, हम सब पर भी बरसाते रहना
कल्याण वरद- हस्त तुम रखे रहना,
"नीरज" का है बसइतना कहना।
