STORYMIRROR

बबीता रानी

Romance

2  

बबीता रानी

Romance

तुम्हारा तुम्हीं को सौंपती हूँ

तुम्हारा तुम्हीं को सौंपती हूँ

1 min
1.0K


मेरा मुझमें कुछ भी नहीं, तुम्हारा तुम्हीं को सौंपती हूँ मैं.

सौंपना चाहती हूँ तुम्हें वो पहला पल,

जिस पल में तुमसे मेल हुआ..

मानो जैसे अमुक भाषा में हृदय का हृदय से मेल हुआ.

सौंप देना चाहती हूँ वो तमाम सुप्रभात,

और हर एक नई प्रभात का एक नया शीर्षक

सौंपना चाहती हूँ वो अनगिनत क्षण,

जिन क्षणों में एक दूसरे को जान पहचान बढ़ी...

सौपना चाहती हूँ तुम्हे वो चंद कदम जब

तुम थे मेरे साथ चले( अनजाने में ही सही)

सफर जैसे जीवन का था आसान हो चला..

सौंपना चाहती हूँ तुम्हें,

तुम्हारी ही लिखी कविताओं का एक एक शब्द,

जो अंतर्मन में बस गया है..

और साथ ही दे देना चाहती हूँ सब भावनाएं,

जो सिर्फ मेरे द्वारा महसूस की गई है.

मैं जानती हूँ कि वो एहसास तुम तक कभी न पहुंच पाएंगे,

कल्पना लोक में जहां तुम बसते हो,

मेरी पहुंच वहां तक कभी न पहुंच पाएंगी,

हर बार की तरह बस निराशा मेरे हाथ आएगी,

सच ही कहा था तुमने

मेरा मुझमें कुछ भी नहीं,

तुम्हारा तुम्हीं को सौंपती हूँ मैं..

सौंपती हूँ मेरे हृदय में तुम्हारे लिए जो प्रेम है..

तुम्हारी ही लिखी कविताओं की ये देन है....!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance