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बबीता रानी

Romance

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बबीता रानी

Romance

तुम्हें भूलने की कोशिश

तुम्हें भूलने की कोशिश

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तुम्हें भुलाने की कोशिश में

और करीब तुम्हें पाती हूँ,

ये कैसे यादों के धागे हैं जिनमें

खुद को बंधा हुआ पाती हूँ।


सोचती हूँ दिल से निकाल दूं

तुम्हारी सब यादें,

रीता दूं मन से वो सब

तुम्हारी बातें।


आज़ाद करना चाहती हूं खुद को

तुम्हारी यादों के साए से,

बहुत कोशिश की

तुमसे दूर चले जाने की।


थोड़ा बहुत सफलता भी पाई लेकिन

यादें तुम्हारी फिर से चली आयी,

फिर से वही खेल शुरू हो जाता है,

तुम्हारी यादों से दूर चले जाने का

और फिर से खुद को

लगा देती हूं, तुम्हें भुलाने में।


तुम न आते तो जीवन में

मेरे इतना ठहराव न आता।

ये दिल किसी पर कभी भी

यकीन ना कर पाता।


तुम्हारा आना और जाना,

एक बदलाव को जन्म देता है।

बदलाव जो मेरे व्यक्तिव में

महत्वपूर्ण भाग लेता है।


इसीलिए शायद भूलने की

कोशिश में सफल नहीं हो पाती हूँ।

तुम्हें भूलने की कोशिश में,

तुम्हें और करीब पाती हूँ...!


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