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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Fantasy

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Fantasy

तुम्हारा हमें इंतजार है

तुम्हारा हमें इंतजार है

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तुम बिन सूना संसार है,

तुम्हारा हमें इंतजार है।


पदचाप सुनी ज्यों तव आगमन की,

खिल गईं थीं कलियां इस मन की।

सज गये थे सपने सूने से नयन में,

झूमीं थीं बहारें मन के उपवन में।

पर टूट गये जब सपने ये सब,

तो लगता है जीवन ही बेकार है।

तुम बिन सूना संसार है,

तुम्हारा हमें इंतजार है।


प्रभु की अनुकम्पा जब होगी,

शुभ घड़ी मिलन की तब होगी।

तब तक करेंगे प्रभु आराधना,

प्रभु मिलन का शीघ्र सुयोग बना।

प्रभु तव इच्छा से हिलते हैं पल्लव,

प्रभु तव माया तो अपरम्पार है।

तुम बिन सूना संसार है,

तुम्हारा हमें इंतजार है।


करें शीघ्र दया हम पर भगवन,

सुरभित हो घर का सूना आंगन।

हम इक आस लगाए बैठे हैं,

निज दामन को फैलाए बैठे हैं।

अनुकम्पा कर दो सेवक पर,

तो आए जीवन में मृदुल बहार है।

तुम बिन सूना संसार है,

तुम्हारा हमें इंतजार है।


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