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Chandramohan Kisku

Abstract

4  

Chandramohan Kisku

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तुम्हारा डर

तुम्हारा डर

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यह मेरे ऊपर षडयंत्र 

मुझे नीचे रखने की 

तुम्हारी आशा 

बहुत पुरानी है 

चाय - चम्पागाड़ में रहने के समय 

से भी बहुत पहले 

हारता बुरु की दुर्घटना 

सासांगबेड़ा में रहने के समय 

से भी पहले 


शायद हिहिड़ी- पिपीड़ी में

रहने के समय से ही 

शायद तुम मुझसे डरते थे 

मेी शक्ति से डर था तुम्हे 

इसलिए मेरा इतिहास मिटाकर 

अपना ही इतिास बनाया 

धर्म की बिन्ती में 

बांखेड़ में ,पूजा में 

मुझे समान अधिकार 

कहाँ दिए हो ?


पंचायत की अखड़ा में 

न्याय व्यवस्था में ,समाज की नियम - नीति में 

मेरा स्थान कहाँ है ?

मुझसे डरते थे 

इसीलिए तो कहा था

पुरुष श्रेष्ठ होते हैं 


पुरुषों की तुलना पुरुषों से ही

अपने गुलाम में रखने के लिए 

मेरे चलने की पथ पर 

धर्म की रेखा खींचे

लज्जा और दया - दर्द की 

सिकंजे से बाँध दिया


मुझसे डरते थे 

और डरते हो 

इसीलिए तो अपनी पुरुषत्व दिखाने के लिए 

मेरी बीज 

माँ के ही गर्भ में 

ख़त्म करना चाह रहे हो।


*चाय- चंपा =संतालों की इतिहास में एक श्रेष्ठ सभ्यता का नाम ,इसी नाम से दो संपन्न नगर भी था 

*हाराता बुरु =संतालों की पौराणिक मान्यता के अनुसार एक समय मनुष्य बहुत ही अनैतिक कामों में संलग्न थे जिससे क्रुद्ध होकर भगवान ने सात दिन और सात रात्रि भी अग्नि वर्षा किया था जिससे एक जोड़ी मानव के आलावा सभी मनुष्य की मृत्यु हो गई थी

*सासांग बेड़ा= यह भी संतालों की पौराणिक कथानुसार एक सभ्यता का नाम है

*हिहिड़ी- पिपीड़ी= संतालों की पौराणिक मान्यता के अनुसार सर्वप्रथम मानव का जन्म यहाँ हुआ था

*बांखेड़=संतालों द्वारा देवताओं की स्तुति में गाया जानेवाला मंत्र



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